Tuesday, 28 April 2015

इंतजार है मुझे वर्धा के इस सुहावने मौसम का ..................................................





               दर्द बहुत होती है जब अपने बिछड्ने लगते हैं ( वर्धा के दोस्तों के विशेष संदर्भ )

काश जीवन में एक ऐसा.. मोड़ आता,
पीछे लौटता ... और सारी खुशियाँ ले आता,
अब भी उन रुठों को प्यार से समझाता ,
उनके अशकों को अपने आँखों में समेट पाता .....
काश जीवन में एक ...........



    एक रोज सब गीत गाएँगे ............ 

एक रोज सब गीत गाएँगे ,
फिर हो सके तो गुनगुना पाएंगे,
उसके बाद गीत शायद उन्हें याद रहे,
वरना इस मैं - तुम की दुनिया में सारे भूल जाएंगे,,,,,
ये ईश्वर, खुदा, मसीहा, 
सब बातों की फितरत में आते हैं।
'मैं' आने पर ना जाने कहाँ चले जाते हैं।
ना खुद पे यकीन आए तो ,
मौजूद रह कर भी खामोशी बयां कर जाते हैं।
हर सवाल का जवाब हमशे ही खोजा करते हैं।
तभी सारे उलझन से परे ,
फिर एक गीत हम लिख जाते हैं।
धुन अपने मे ही बनाकर .....
फिर हो सके तो गुनगुना पाएंगे
एक रोज सब गीत गाएँगे



दिवाली विशेषांक .......

आज घर सजा रहा हूँ, दिवाली है। 
ड्रेगन लाइट हैं, कुछ मोमबत्ती और दीये !
इस महंगाई में पर्व माना रहा हूँ, दिवाली है।
अब मिट्टी के दीये ज्यादा नहीं जलता,
कम खर्च में मिनी लाइट ले आता,
सिर्फ अपनी घर के रोशनी में, भूल जाता,
हैं एक और घर जहां इस दीये से रोशनी होती थी।
उसे बेच ही पूरे परिवार की पेट चलती थी।
इस दिवाली की आश लगाए ,
वर्षो पहले चाक़ों पे हाथ चलती थी।
अब तो पेट दुश्मन बन बैठा ज़िंदगी का,
इस दिवाली से दूर उस अंधेरी बस्तियों का।
क्यों रूठ गई लक्ष्मी इस परिवार से,
क्या भूल हुई इस मिट्टी के कलाकार से।
है कुछ बातें जिसे दिल में दबाये रखा हूँ ,
आज दिवाली है, घर सजा रहा हूँ... घर सजा रहा हूँ...
मेरे तनहाइयों से  रचित कविताएं 

रातों को एक ही फैसला होता है,
सुबह से मिलन का ........
वादा कई बार होता है ,
कुछ कर गुजर जाने का .........


क्रांति की पहल ने अलसा दिया मुझे,
इस इस भींगी सी सुबह ने जला दिया मुझे।
खुद की नजर लग गई इस मंजर को,
वक़्त की कहानी ने उलझा दिया मुझे।
उपरोक्त पंक्ति परीक्षा ........... का साइड इफैक्ट है । इसे समझने की कोशिश ......... ये आप पर निर्भर है..

होली के मांग सराबोर हुए सब के सब













Monday, 27 April 2015

                                        मेरी ज़िंदगानी


मैं अपनी जीवन कथा का  प्रारम्भ अपने जीवन के कुछ मूलभूत क्षण जो बिताए हैं उसके द्वारा कर रहा हूँ|
कदापि यह उचित नहीं की नदियों धारा के संग मैं बह जाऊ और यह भी उचित नही की धारा के विपरीत मैं अपनी धारा को बहाऊँ |ज़िंदगी भी बड़ी अजीबो गरीब है कभी बहुत खुश कर देती है तो कभी अपने भविष्य को सोचने पर मजबूर कर देती है कभी-कभी सांसरिक सुखों को त्याग करने को कहती है तो कभी उनसे कदमताल मिला कर चलने को कहती है |इसी से संबन्धित कुछ कहानियाँ मैं आज आपके पास कहना छह रहा हूँ|
                      बात उस समय की है जब मैं अपने नन्हें कदमों से अपने बड़े भैया के साथ पढ़ाई करने साथ - साथ जाया करता था | रोज सुबह जग जाना और सुंदर सुंदर कपड़े को पहनकर अपनी मंजिल को पाने की होड में चलना बड़ा ही अच वो समय बीत रहा था जाम मैं कक्षा के. जी  और बड़े भैया दो में थे |   

अनुवाद की अवधारणा एवं स्वरूप


भूमिका
 प्रस्तुत विषय‘‘अनुवाद:अवधारणा एवं स्वरूपएक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है।वैश्वीकरण के इस दौर शिक्षा जगत से लेकर मीडिया जगत में अनुवाद का उपयोग अत्यंत ही ज्यादा किया जा रहा है|21 वीं सदी को अनुवाद की सदी से जाना जा रहा है,आज अनुवाद के कारण ही पूरी दुनिया एक गाँव में सिमटती हुई नजर आ रही है| पत्रकारिता,दूरदर्शन,सिनेमा,आकाशवाणी एवं संचार के और भी कई आधुनिक माध्यमों में अनुवाद का महत्वपूर्ण स्थान है |  
अनुवाद का अर्थ
  अनुवाद का शाब्दिक अर्थ भाषांतरण अर्थात किसी दो भाषाओं के बीच का अंतर है| अनुवाद शब्द वदधातु में प्रत्यय लगाने से वादशब्द  से बनता है|’वद’ धातु का अर्थ बोलना या कहना है|’वद’ शब्द में अनु उपसर्ग के जुडने से अनुवाद बना है | अनुवाद को अंग्रेजी में (translation) कहा जाता है, जो लैटिन का एक शब्द है |इसमे trans का मतलब पार, तथा (lation) का मतलब ले जाना,परिवर्तन करना या कार्यरूप देना है|अतः translation के द्वारामूलभाषा के अर्थ को लक्ष्यभाषा में रूपांतरण करना  है|    


          विद्वानों के द्वारा दी गई अनुवाद  की परिभाषा
v      एक भाषा की सामाग्री के भावों की रक्षा करते हुए उसे दूसरी भाषा में रूपान्तरण कर देना ही अनुवाद है  – सैमुएल जॉनसन 
v   अनुवाद वास्तव में वो शीशा है,जिसमें मूलकृति का हूबहू प्रतिबिंब का होना जरूरी          है|सफल अनुवाद तो वही है जो अनुवाद जैसा मालूम ना दे –
                                                                            मोरेश्वर दिनकर पड़ाड़कर
v      अनुववाद एक भाषा के विचारों को दूसरी भाषा में स्थानांतरित करना मात्र नहीं है|एक अच्छा अनुवाद सदैव मूललेखन के समकक्ष होता है-
                                                                               श्रीपाद जोशी   
v      Translation is the replacement of textual material in one language by equivalent textual material in another language. –       JC  Cattfort
v     Translation consists in producing in the receptor language this closest natural equivalent to the message of the source language,first  in meaning and second in style.                                                                                                                                     -                                                                                 Nida 
                     अनुवाद की प्रासंगिकता  
q        बहुभाषी शिक्षा प्रणाली में अनुवाद –
q         जनसंचार माध्यमों में अनुवाद
q         व्यवसाय के रूप में अनुवाद
q         राष्ट्रिय एकता में अनुवाद
q        सामाजिक संस्कृति में अनुवाद -
                      अनुवाद के कार्य
§  अनुवाद की प्रक्रिया निम्नलिखित कार्यों को संपन्न करती है –
 
प्रसिद्ध साहित्यकार अज्ञेय के कथनानुसार जो कुछ है अनुवाद है इसलिए इसकी आवश्यकता है :-
ü  अनुवाद की आवश्यकता अभिव्यक्ती के लिए है|
ü अनुवाद से हम संप्रेषित करते हैं अर्थात अपने मन की भावना को पहुँचाते हैं|
ü ज्ञान की परंपरा का विकास करने के लिए अनुवाद का प्रयोग किया जाता है |
ü अपने विचार को प्रकट करने की मूलप्रवृत्ति ही अनुवाद है|   
             
           मीडिया में अनुवाद का महत्व
       प्रिंट मीडिया में अनुवाद के द्वारा आलेख की छपाई तथा content को तैयार करने में,समाचार की भाषाओं को भाषाई आधार पर रूपांतरित करने का काम किया अनुवाद के द्वारा जाता है|
       इलेक्ट्रोनिक मीडिया में हर रोज हर पल घटित होने वाली हर घटना का ब्योरा विश्व के हर देश की हर भाषा में पहुंचाने का कार्य अनुवाद के द्वार ही संभव हो पाया है|
   कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण इस प्रकार है:-  
       TV and Radio Reports
       Corporate Communications
       Press Releases
       Digital seminar



                              निष्कर्ष
         निष्कर्षतः हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान समय में संसार भर में  पाँच हजार से भी ज्यादा भाषाओं और बोलियों के बीच वैचारिक एवं कार्यात्मक तालमेल को स्थापित करने के लिए अनुवाद ही सबसे लोकप्रिय माध्यम है|अनुवाद ने संचार माध्यम के इस तकनीकी युग में नएपन का सूत्रपात किया है और आने वाले समय में संचार का विभिन्न माध्यम भी अनुवाद पर ही निर्भर रहेगा |अनुवाद के बिना हम नवीन तकनीकी तथा आधुनिक जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं |

  सन्दर्भ ग्रन्थ
      अनुवाद विज्ञान डा. बालेंदु शेखर तिवारी
      प्रोफ़ेसर देवराज सर के कक्षा व्याख्यान से